JANKEE PRASAD
, jankee prasad , NIRPENDRA PRATAP SINGH
मनुष्य में आदि काल से ही प्रकृति को समझने एवं उससे सीखते हुए कुछ नया खोजने की प्रवृत्ति रही है। प्राचीन काल में जहॉं आदि मानव प्रकृति की मूल सुविधाओं का उपयोग करते हुए जीवनयापन करता था वहीे आज के वर्तमान युग में मनुष्य ने विभिन्न आविष्कारों के माध्यम ें समाज के लिए हर प्रकार की सुविधाओं को अर्जित कर लिया है। से सभी आविष्कार एवं उपलब्धियॉे किसी व्यक्ति विशेष के निजी प्रयासों अथवा व्यक्तियों के एक चिन्हित समूह के सामूहिक प्रयासों का परिणाम होते हैं। एक व्यक्ति, जो अपने सघन प्रयासों के उपरान्त किसी नये आविष्कार अथवा विचार को उत्पन्न करता है, वास्तव में उस आविष्कार अथवा विचार का मूल श्रेय ही उसी को मिलना चाहिए। किन्तु वर्तमान में ऐसे कई उदाहरण सामने आये है। जहॉं एक व्यक्ति की वास्तविक उपलब्धियों को दूसरे व्यक्ति ने गलत तरीके से अपने नाम के साथ जोडा है। बौद्धिक सम्पदा का अधिकार मूलतः इसी तरह की अनियमिततओं पर नियंत्रण करने का एवं समर्थ व्यक्ति को उसके अधिकार प्रदान करने का प्रयास करता है।
"बौद्धिक सम्पदा का अधिकार ", IJSDR - International Journal of Scientific Development and Research (www.IJSDR.org), ISSN:2455-2631, Vol.7, Issue 11, page no.705 - 707, November-2022, Available :https://ijsdr.org/papers/IJSDR2211095.pdf
Volume 7
Issue 11,
November-2022
Pages : 705 - 707
Paper Reg. ID: IJSDR_202651
Published Paper Id: IJSDR2211095
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Research Area: Arts
Country: KASGANJ , UTTAR PRADESH , India
ISSN: 2455-2631 | IMPACT FACTOR: 9.15 Calculated By Google Scholar | ESTD YEAR: 2016
An International Scholarly Open Access Journal, Peer-Reviewed, Refereed Journal Impact Factor 9.15 Calculate by Google Scholar and Semantic Scholar | AI-Powered Research Tool, Multidisciplinary, Monthly, Multilanguage Journal Indexing in All Major Database & Metadata, Citation Generator
Publisher: IJSDR(IJ Publication) Janvi Wave