भारतीय महिला सशक्तिकरण: अधिकार, विधान और नीति।
sunanda anshul raut
, अश्विनी भाऊरावजी चौधरी
मुख्य बिंदू :- महिलाओं के मानवाधिकार, महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए कानून, महिला सशक्तिकरण के लिए सरकारी नीतियां
सारांश आजादी के बाद देश में कई अनुत्तरित प्रश्न बने रहे। इनमें सबसे अहम मुद्दा था महिला सशक्तिकरण. इस संबंध में भारत सरकार ने अपनी सरकारी रणनीति बनाकर इस समस्या के समाधान के लिए कई प्रयास किये हैं। और मौजूदा हालात भी दिख रहे हैं. भारत दुनिया की तुलना में एक पिछड़ा देश है और ऐसे पिछड़े देश में महिलाएं पुरुषों की नजर में पिछड़ी हैं और बहुजन, दलित, मुस्लिम महिलाएं कुलीन और उच्च वर्गीय समाज की महिलाओं की तुलना में बहुत पिछड़ी हैं, इसका पता इस बात से चलता है। भारत में रहने का सामाजिक वातावरण। यद्यपि महिलाएँ एक ही देश में एक ही आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक वातावरण में रहती हैं, फिर भी वे विभिन्न भावनात्मक स्तरों पर रहती प्रतीत होती हैं। कुल मिलाकर, भारतीय महिलाएं संतुष्टि और वित्तीय कल्याण के मामले में पुरुषों से बहुत पीछे हैं। पिछड़े वर्ग, दलित, ग्रामीण, कम पढ़ी-लिखी, बहुजन महिलाओं में अत्यधिक गरीबी पाई जाती है। स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार ने एक कल्याणकारी राज्य की भूमिका निभाई और देश के सभी पहलुओं के विकास के लिए पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से विकास की योजना बनाने का निर्णय लिया गया। आधी आबादी वाली महिलाओं से परहेज करके देश का विकास करना सरकार के लिए महिलाओं का अपेक्षित सहयोग और भागीदारी संभव नहीं है। इसीलिए विकास में महिलाओं की भागीदारी से महिला सशक्तिकरण का मुद्दा सामने आया। महिला सशक्तिकरण का मुद्दा सिर्फ भारत जैसे विकासशील या गरीब देशों में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में सबसे आगे है। इस कर 1985 में नैरोबी में आयोजित महिलाओं पर पहले अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में कहा गया था कि "महिला सशक्तिकरण उनके परिवारों, समुदायों, समाजों और राष्ट्र के सांस्कृतिक पहलुओं के कानूनी, राजनीतिक, शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में महिलाओं का सशक्तिकरण है"। इसी विचार को महत्व देते हुए संयुक्त राष्ट्र ने भी 2000 को अंतर्राष्ट्रीय महिला वर्ष घोषित किया, वहीं भारत ने भी महिला सशक्तिकरण पर विशेष जोर देते हुए 2001 को सशक्तिकरण वर्ष के रूप में मनाया। डॉ. अम्बेडकर ने कहा है कि ''भारतीय महिलाएं श्रम से नहीं, बल्कि आंसुओं से डरती हैं, वे निश्चित रूप से रोटी, असमान व्यवहार, अपमान, शोषण से डरती हैं।'' नोबेल पुरस्कार विजेता और प्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रोफेसर अमर्त्यसेन ने लिखा है कि महिला सशक्तिकरण ही सकारात्मक परिणाम ला सकता है। महिलाओं के जीवन में बदलाव। कोई बदलाव नहीं। इसका सकारात्मक असर होगा। और पुरुषों और लड़कों को भी फायदा होगा।
"भारतीय महिला सशक्तिकरण: अधिकार, विधान और नीति।", IJSDR - International Journal of Scientific Development and Research (www.IJSDR.org), ISSN:2455-2631, Vol.8, Issue 9, page no.142 - 146, September-2023, Available :https://ijsdr.org/papers/IJSDR2309020.pdf
Volume 8
Issue 9,
September-2023
Pages : 142 - 146
Paper Reg. ID: IJSDR_208414
Published Paper Id: IJSDR2309020
Downloads: 000347389
Research Area: Social Science and Humanities
Country: nagpur, Maharashtra, India
ISSN: 2455-2631 | IMPACT FACTOR: 9.15 Calculated By Google Scholar | ESTD YEAR: 2016
An International Scholarly Open Access Journal, Peer-Reviewed, Refereed Journal Impact Factor 9.15 Calculate by Google Scholar and Semantic Scholar | AI-Powered Research Tool, Multidisciplinary, Monthly, Multilanguage Journal Indexing in All Major Database & Metadata, Citation Generator
Publisher: IJSDR(IJ Publication) Janvi Wave