INTERNATIONAL JOURNAL OF SCIENTIFIC DEVELOPMENT AND RESEARCH International Peer Reviewed & Refereed Journals, Open Access Journal ISSN Approved Journal No: 2455-2631 | Impact factor: 8.15 | ESTD Year: 2016
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चरित्र-प्रधान उपन्यास के विकास में प्रेमचंद का योगदान
Authors Name:
Rashmi Kumar
Unique Id:
IJSDR2310097
Published In:
Volume 8 Issue 10, October-2023
Abstract:
प्रेमचंद की रचनाओं में तत्कालीन इतिहास बोलता है। उन्होंने अपनी रचनाओं में जन साधारण की भावनाआ परिस्थितियों और उनकी समस्याओं का मार्मिक चित्रण किया। अपनी कहानियों से प्रेमचंद मानव स्वभाव की आधारभूत महत्ता पर बल देते हैं। बड़े घर की बेटी , आनन्दी अपने देवर से अप्रसन्न हुई , क्योंकि वह गंवार उससे कर्कशता से बोलता है और उस पर खींचकर खड़ाऊँ फेंकताहै। जब उस अनुभव होता है कि उनका परिवार टूट रहा है और उसका देवर परिताप से भरा है तब वह उसे क्षमा कर देती है और अपने पति को शांत करती है। इसी प्रकार नमक का दारोगा बहुत ईमानदार व्यक्ति है। घूस देकर उसे बिगाड़ने में सभी असमर्थ हैं। सरकार उसे ,सख्ती से उचित कार्रवाई करने के कारण नौकरी से बर्खास्त कर देती है किन्तु जिस सेठ की घूस उसने अस्वीकार की थी , वह उसे अपने यहाँ ऊँचे पद पर नियुक्त करता है। वह अपने यहाँ ईमानदार और कर्तव्यपरायण कर्मचारी रखना चाहता है। इस प्रकार प्रेमचंद के संसार में सत्कर्म का फल सुखद होता है। वास्तविक जीवन में ऐसी आश्चर्यप्रद घटनाएँ कम घटती हैं। गाँव का पंच भी व्यक्तिगत विद्वेष और शिकायतों को भूलकर सच्चा न्याय करता है। उसकी आत्मा उसे इसी दिशा में ठेलती है। असंख्य भेदों पूर्वाग्रहों अन्धविश्वासों जात - पांत के झगड़ों और हठधर्मियों से जर्जर ग्राम - समाज में भी ऐसा न्याय - धम कल्पनातीत लगता है ।
"चरित्र-प्रधान उपन्यास के विकास में प्रेमचंद का योगदान", International Journal of Science & Engineering Development Research (www.ijsdr.org), ISSN:2455-2631, Vol.8, Issue 10, page no.589 - 592, October-2023, Available :http://www.ijsdr.org/papers/IJSDR2310097.pdf
Downloads:
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Publication Details:
Published Paper ID: IJSDR2310097
Registration ID:209019
Published In: Volume 8 Issue 10, October-2023
DOI (Digital Object Identifier):
Page No: 589 - 592
Publisher: IJSDR | www.ijsdr.org
ISSN Number: 2455-2631
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